हाल ही में सोशल मीडिया पर एक बड़ी चर्चा ने सभी का ध्यान खींचा। दावा किया गया कि टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) ने करीब 80,000 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है। यह खबर तेजी से वायरल हुई और आईटी सेक्टर में काम करने वालों के बीच चिंता बढ़ गई। लेकिन असलियत कुछ और ही है।
सोशल मीडिया पर शुरू हुई अफवाह
दरअसल, यह चर्चा तब शुरू हुई जब एक सोशल मीडिया पोस्ट में दावा किया गया कि टीसीएस ने 80,000 लोगों को नौकरी से निकाल दिया है। पोस्ट में यहां तक कहा गया कि कुछ कर्मचारियों को 18 महीने का सेवरेंस पैकेज मिला, कुछ को 3 महीने का, जबकि कई को कोई मुआवजा भी नहीं दिया गया। यह संख्या इतनी बड़ी थी कि लोगों को यकीन करना मुश्किल हो गया, फिर भी खबर वायरल होती चली गई।
कंपनी का आधिकारिक बयान
NDTV Profit ने जब इस दावे की जांच की, तो टीसीएस के प्रवक्ता ने साफ कहा कि यह खबर पूरी तरह गलत और भ्रामक है। कंपनी के अनुसार, जुलाई 2025 में यह घोषणा जरूर की गई थी कि लगभग 12,000 कर्मचारियों यानी उसकी कुल वैश्विक वर्कफोर्स का 2% प्रभावित होगा। लेकिन 80,000 छंटनी का दावा पूरी तरह झूठा है।
क्यों की जा रही छंटनी?
टीसीएस ने बताया कि यह कदम कंपनी की दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा है। कंपनी अपने कर्मचारियों को फ्यूचर-रेडी ऑर्गेनाइजेशन के रूप में तैयार कर रही है। इसके लिए री-स्किलिंग, नई तकनीकों पर ट्रेनिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और वर्कफोर्स रियलाइन्मेंट पर काम चल रहा है। इस बदलाव के चलते मिड और सीनियर लेवल के कुछ कर्मचारियों पर असर पड़ा है।
आंकड़ों पर एक नज़र
-
टीसीएस ने जुलाई 2025 में घोषणा की थी कि करीब 12,261 कर्मचारी प्रभावित होंगे।
-
कंपनी के पास जून 2025 तक कुल 6.13 लाख कर्मचारी थे।
-
इसी दौरान कंपनी ने 5,000 नए कर्मचारियों की भर्ती भी की।
आईटी सेक्टर की चुनौतियाँ
विशेषज्ञों का मानना है कि आईटी सेक्टर इस समय कई दबावों का सामना कर रहा है। वैश्विक स्तर पर जियोपॉलिटिकल तनाव, आर्थिक अनिश्चितता और टेक्नोलॉजी डिमांड में सुस्ती के चलते कंपनियां अपने ऑपरेशन्स में बदलाव कर रही हैं। यही वजह है कि टीसीएस जैसी दिग्गज कंपनी भी वर्कफोर्स रियलाइन्मेंट कर रही है।
इस तरह यह साफ हो जाता है कि टीसीएस द्वारा 80,000 कर्मचारियों की छंटनी की खबर सिर्फ अफवाह है। असल में कंपनी ने 12,000 कर्मचारियों को ही प्रभावित करने की बात कही है, और वह भी अपनी रणनीतिक तैयारी के तहत। आईटी इंडस्ट्री में इस तरह की अफवाहें न केवल कर्मचारियों में डर पैदा करती हैं बल्कि निवेशकों और ग्राहकों की धारणा को भी प्रभावित कर सकती हैं।