प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) ने एक बड़ा कदम उठाते हुए पूरे देश के गाँव-घर जाकर एक विशेष सर्वे किया है, जिसका मकसद उन परिवारों की पहचान करना है जिन्हें अभी तक इस योजना का लाभ नहीं मिल सका है। ये सर्वे जनवरी से मई 2025 के बीच हुआ है, और सरकार ने इस प्रक्रिया को पारदर्शी, त्वरित एवं न्यायोचित बनाने के लिए कई नई तकनीक और व्यवस्थाएँ तैयार की हैं।
सर्वे की वजह और ज़रूरत
ग्रामीण भारत में बहुत से परिवार हैं जो योजना की पात्रता मानदंडों को पूरा करते हैं — जैसे कि कच्चे घर में रहना, ग्रामीण क्षेत्र में निवास करना, राशन कार्ड होना, आदि — लेकिन विभिन्न वजहों से (जैसे जानकारी का अभाव, प्रशासनिक बाधाएँ, दूरदराज इलाके) लाभ नहीं उठा पा रहे। इस स्थिति को सुधारने के लिए यह सर्वे सबसे ज़रूरी कदम था।
पात्रता मानदंड जो देखे गए
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आवेदक का मूल निवासी होना चाहिए और ग्रामीण क्षेत्र में रहना चाहिए।
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उस परिवार को अब तक पीएम आवास योजना से लाभ नहीं मिलना चाहिए।
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घर कच्चा हो या अस्थायी सामग्री से बना हो।
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राशन कार्ड होना और आर्थिक-सामाजिक स्थिति की स्थिति अन्य सरकारी आंकड़ों से मिलती हो।
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परिवार के सदस्यों की आजीविका स्रोतों का आकलन किया गया।
कैसे हुई सूची तैयार?
ग्राम प्रधानों और ग्रामीण सचिवों ने मिलकर घर-घर जाकर आंकड़े जुटाए। कुछ जगहों पर ऑनलाइन फॉर्म की भी व्यवस्था की गई ताकि जो लोग स्वयं आवेदन करना चाहें, वो आसानी से कर सकें। इस सर्वे के बाद सरकारी इंतज़ार है कि पात्र परिवारों की सूची सार्वजनिक की जाए ताकि लाभ देने की प्रक्रिया शीघ्र शुरू हो सके।
ऑनलाइन जांच की प्रक्रिया
लाभार्थी सूची देखने के लिए सामान्य तौर पर ये कदम उठाने होंगे:
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आधिकारिक पोर्टल (जैसे AWASSOFT या संबंधित मंत्रालय की वेबसाइट) पर जाएँ।
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लाभार्थी-सेक्शन में जाएँ और अपने जिले/ग्राम के नाम, एवं अन्य ज़रूरी विवरण भरें।
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यदि आप सूची में पाएं तो आगे के लिए निर्माण की प्रक्रिया शुरू होगी।
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नाम ना होने पर स्थानीय ग्राम पंचायत कार्यालय से संपर्क कर जानकारी लें।
सरकार की कार्रवाई और भविष्य की योजना
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लक्ष्य है कि वर्ष 2027 तक ग्रामीण भारत में तीन करोड़ से अधिक परिवारों को पक्का मकान मिले।
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वित्तीय सहायता सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में भेजी जाएगी जिससे पारदर्शिता बनी रहे।
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निर्माण की पूरी प्रक्रिया चरणबद्ध होगी और हर चरण में गुणवत्ता की जांच होगी।
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इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा — सामग्री निर्माण, मजदूरी आदि से स्थानीय रोजगार बढ़ेगा।