इस योजना का लाभ लगभग 10 लाख 91 हजार 146 गैर-राजपत्रित (non-gazetted) कर्मचारियों को मिलेगा। प्रत्येक कर्मचारी के लिए बोनस की अधिकतम राशि 17,951 तय की गई है। कुल मिलाकर रेलवे को इस बोनस पर लगभग 1,865.68 करोड़ का खर्च आएगा।
बोनस क्यों दिया जाता है?
उत्पादकता आधारित बोनस (PLB) रेलवे कर्मचारियों को हर साल उनके प्रदर्शन और रेलवे की आय में योगदान के आधार पर दिया जाता है। इसका उद्देश्य कर्मचारियों को अधिक मेहनत करने और कार्यकुशलता बढ़ाने के लिए प्रेरित करना है। त्योहारों के मौसम में इस बोनस को अतिरिक्त राहत के तौर पर देखा जाता है, क्योंकि इस समय परिवार के खर्च सबसे ज्यादा रहते हैं।
रेलवे की आय और कर्मचारियों की नाराजगी
रेल मंत्रालय के अनुसार, 2024-25 वित्त वर्ष में यात्री और माल ढुलाई दोनों क्षेत्रों से आय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। रेलवे ने बेहतर प्रदर्शन किया है और लगातार अपने राजस्व को बढ़ाया है। इसके बावजूद, कर्मचारियों का एक वर्ग सरकार से नाराज है। उनका कहना है कि जब रेलवे की आमदनी हर साल बढ़ रही है तो बोनस की राशि भी उसी अनुपात में बढ़ाई जानी चाहिए। लेकिन पिछले कई वर्षों से कर्मचारियों को एक ही स्तर का बोनस (78 दिन) दिया जा रहा है। नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवे मेन (NFIR) जैसे संगठनों ने सरकार से इस नीति की पुनर्समीक्षा करने की मांग उठाई है। उनका कहना है कि कर्मचारियों की मेहनत और रेलवे की बढ़ती आय को देखते हुए बोनस राशि में भी संशोधन होना चाहिए।
कर्मचारियों के लिए राहत
फिर भी, इस फैसले को कर्मचारी वर्ग ने राहत के रूप में देखा है। त्योहारों के समय यह बोनस परिवारिक खर्च, शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य जरूरतों को पूरा करने में मददगार साबित होगा। ग्रामीण और छोटे शहरों से आने वाले कर्मचारियों के लिए यह राशि विशेष महत्व रखती है। रेल मंत्रालय का मानना है कि यह बोनस कर्मचारियों का मनोबल बढ़ाने और उन्हें और अधिक मेहनत के लिए प्रेरित करने में मदद करेगा। रेलवे भारत की सबसे बड़ी नियोक्ता संस्थाओं में से एक है और लाखों कर्मचारियों के जीवन पर इसका सीधा असर पड़ता है।
आगे की राह
विशेषज्ञ मानते हैं कि सरकार को भविष्य में बोनस की नीति की समीक्षा करनी चाहिए, ताकि कर्मचारियों को उनकी मेहनत का बेहतर प्रतिफल मिल सके। जैसे-जैसे रेलवे की आमदनी बढ़ती है, कर्मचारियों के हितों का ध्यान रखना भी जरूरी हो जाता है।
रेलवे द्वारा घोषित 78 दिन का बोनस निश्चित रूप से एक बड़ा कदम है, जो कर्मचारियों को त्योहारों से पहले आर्थिक राहत देगा। हालांकि, बोनस की राशि बढ़ाने की मांग भी लगातार जोर पकड़ रही है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सरकार और रेल मंत्रालय इस दिशा में कोई नया कदम उठाते हैं।